Friday 26 December 2014

भाकपा स्थापना दिवस की लखनऊ गोष्ठी --- विजय राजबली माथुर

लखनऊ, 26 दिसंबर 2014 : आज मध्यान्ह भाकपा कार्यालय, 22-क़ैसर बाग परिसर में पार्टी के 90वें स्थापना दिवस पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता  वरिष्ठ किसान नेता कामरेड राम प्रताप त्रिपाठी ने  की व संचालन कामरेड मोहम्मद ख़ालिक़ ने किया। गोंडा से पधारे वरिष्ठ वकील कामरेड सुरेश त्रिपाठी व प्रसिद्ध महिला नेत्री कामरेड आशा मिश्रा भी मंचासीन थीं। 

प्रारम्भ में कामरेड सुरेश त्रिपाठी ने भाकपा की स्थापना से पूर्व की राजनीतिक परिस्थितियों का उल्लेख करते हुये बताया कि ब्रिटिश साम्राज्य से संघर्ष के दौरान हमारे तब के नेता गण कांग्रेस में रह कर  आंदोलन रत थे तथा मजदूरों  के शोषण के विरुद्ध संघर्ष करने के लिए 1921 में AITUC का गठन कर चुके थे। 25 दिसंबर 1925 को उत्तर प्रदेश के कानपुर नगर में समान विचार धारा वाले संघर्षशील नेताओं ने एक सम्मेलन का आयोजन किया और अगले दिन 26 दिसंबर को एक प्रस्ताव पास करके 'भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी' -CPI का गठन किया गया। भारतीय स्वाधीनता आंदोलन पर कम्युनिस्ट विचार धारा की स्पष्ट छाप दिखाई देती है। चाहे चंद्रशेखर आज़ाद हों या सरदार भगत सिंह, रामप्रसाद 'बिस्मिल', अशफाक़ उल्ला खाँ, रोशन लाहिरी, बटुकेश्वर दत्त इत्यादि सभी तो कम्युनिस्ट विचार धारा से ओत -प्रोत थे। आज़ादी के बाद भी प्रारम्भिक काल में सरकार ने कम्युनिस्ट आंदोलन से प्रेरित होकर ही निर्णय लिए थे। विनोबा भावे का भू-दान आंदोलन तेलंगाना के कम्युनिस्ट विद्रोह से ही प्रभावित था। भू-सुधार क़ानूनों के निर्माण में भी कम्युनिस्ट छाप सरलता से देखी जा सकती है। 
इप्टा के राकेश जी ने अपने सम्बोधन में कहा कि कामरेड सुरेश त्रिपाठी जी ने संक्षिप्त रूप से सार गर्भित तथ्यों पर प्रकाश डाला है। उनका ज़ोर था कि हमको गोष्ठियों व सभाओं से निकल कर जनता के मैदान में जाना चाहिए और जन-हित के मुद्दों पर संघर्ष करना चाहिए। कामरेड आशा मिश्रा ने बीमा ,बैंक आदि के राष्ट्रीयकरण किए जाने में कम्युनिस्टों की भूमिका व समाज सुधार के कानून बनवाने में महिला फेडरेशन के योगदान की चर्चा की। उनका कहना था कि कम्यूनिस्ट आंदोलन में विभाजन होने के कारण कमजोरी आई है जिससे आज सांप्रदायिक शक्तियों को सत्ता मिल गई है। कामरेड मोहम्मद ख़ालिक़ ने स्पष्ट किया कि न तो पहले और न ही अब कम्युनिस्ट आंदोलन कमजोर है बल्कि हमारे नेताओं की 'इच्छा-शक्ति में कमी' के कारण हम पिछड़ गए हैं। उन्होने दृढ़ इच्छा शक्ति अपनाए जाने पर ज़ोर दिया। 

अपने अध्यक्षीय उद्बोद्धन में कामरेड राम प्रताप त्रिपाठी जी ने एक संस्कृत श्लोक का उच्चारण करते हुये कहा कि हमारी तो संस्कृति ही अंतर्राष्ट्रीयतावादी रही है। जब हम ब्रिटिश दासता के विरुद्ध लड़ रहे थे तब हमारे महान नेता गण- ज्योति बसु, नंबुद्रीपाद इत्यादि 'कम्युनिस्ट पार्टी आफ यू के ' के सदस्य थे और उनका अपनी पार्टी के गठन में काफी योगदान रहा है। उन्होने कहा कि हमें आज भी सम्पूर्ण विश्व के कल्याण के लिए ही संघर्ष करना है। उपस्थित कामरेड्स को गोष्ठी में सम्मिलित होने के लिए धन्यवाद देते हुये उन्होने गोष्ठी समापन की घोषणा की। कामरेड ख़ालिक़ ने अपनी गंभीर बीमारी के बावजूद गोष्ठी में सक्रिय भागीदारी के लिए कामरेड राम प्रताप त्रिपाठी जी का आभार व्यक्त किया।

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