Monday 11 April 2016

देश के नौजवानों से युद्ध छेड़ने वाली सरकार जितनी कायर होती है उतनी ही निर्मम ------ सुयश सुप्रभ

***इस फ़ोटो में कन्हैया अपने मस्त अंदाज़ में डफली बजाते दिख रहे हैं। क्या अब वे इसी तरह निश्चिंत होकर सड़कों पर डफली बजा सकते हैं? नहीं, इस सरकार ने अपनी निर्ममता दिखाते हुए उनसे उनकी आज़ादी छीन ली है। अपने पालतू चैनल की मदद से उनकी ऐसी छवि बना दी कि वे अब कहीं भी निश्चिंत होकर न तो चाय पी सकते हैं न सड़कों पर निकलकर अपने साथियों के साथ कुछ पल ज़माने से बेपरवाह होकर हँस-गा सकते हैं। यह बेपरवाही हम सभी की ज़िंदगी का हिस्सा है। इसके बिना हमारी ज़िंदगी बोझिल हो जाती है। कैंपसों के बहुत-से साथियों से यह अनमोल पल-दो पल की बेपरवाही छीनने वाली सरकार की निर्ममता वही समझ सकते हैं जिन्हें युवाओं के सपनों और मुस्कुराहट की अहमियत मालूम हो। आज कन्हैया राजनीति में भले ही राष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय हो गए हों लेकिन ढाबे पर अपनी मस्ती में गपियाता नौजवान अचानक बहुत ज़्यादा सावधान और गंभीर हो गया है। यही बात उमर और अनिर्बान पर भी लागू होती है।
हाल ही में एक इंटरव्यू में कन्हैया ने कहा कि जब एक दिन उन्हें अपनी जेब में मुड़ा-तुड़ा मेट्रो कार्ड दिखा तो उसे देखकर उनके मन में यह सवाल आया कि क्या वे इसका कभी इस्तेमाल कर पाएँगे। इस सवाल में जो दर्द छिपा है उसकी अनदेखी मत कीजिए। यह आपके देश के एक ऐसे युवक का दर्द है जो समाज के लिए ही जीता आया है और समाज के लिए ही मर जाने की बात करता है। अपने देश के नौजवानों से युद्ध छेड़ने वाली सरकार जितनी कायर होती है उतनी ही निर्मम।***


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ए आई एस एफ ने कन्हैया कुमार को मोमेंटम दे कर सम्मानित किया है : 

कन्हैया ने अपने सादगीपूर्ण आचरण से सबका मन मोह लिया है :


कंवल भारती जी की चिंता वाजिब है खुद को 'नास्तिक' - एथीस्ट घोषित करने की ज़िद्द में हमारे देश में वामपंथी खुद को जनता से अलग किए हुये हैं जिस कारण जनता का भारी अहित हो रहा है और वह कठिन संकट में फँसती लग रही है, जैसा की सुयश सुप्रभ जी की चेतावनी से भी स्पष्ट है। 

भारती जी केवल संगठनात्मक ढांचे में तबदीली चाहते हैं जबकि वास्तविक ज़रूरत यह है कि, आर्थिक शोषण के विरुद्ध आवाज़ उठाने के साथ-साथ सामाजिक उत्पीड़न और शोषण के विरुद्ध भी आवाज़ उठाकर ब्राह्मण वाद को निष्प्रभावी किया जाए। जिस  दिन वामपंथ यह करने में सफल हो जाएगा उसी दिन जनता के संकट हल हो जाएँगे। अतः वर्तमान संकट के लिए वामपंथ खुद भी उत्तरदाई है जैसा कि, अनिर्बन भट्टाचार्य ने भी इंगित किया है। 


हमें लोगों के रुझान को देखने की ज़रूरत है : अनिर्बन भट्टाचार्य 


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