Thursday 28 April 2016

कन्हैया नहीं है राष्ट्र विरोधी :ब्राह्मण वाद को राष्ट्रवाद कहा जा रहा है


कन्हैया कुमार पर हुआ था हमला
पुणे। जेएनयू के छात्र अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने एक बार फिर मोदी सरकार पर आरोप लगाए हैं। कन्हैया ने कहा कि मौजूदा सरकार ने देश को सांप्रदायिकता और दलित विरोधी नीतियों की प्रयोगशाला में बदल कर रख दिया है। उसने मोदी सरकार के पीछे की ताकत आरएसएस को बताया। उसने कहा कि मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के पीछे आरएसएस की ताकत है।

प्रोग्रेसिव स्टूडेंट्स असोसिएशन के बैनर तले इकट्ठा हुए छात्रों की एक सभा को संबोधित करते हुए कन्हैया कुमार ने कहा कि मोदी प्रधानमंत्री हैं और आरएसएस उनकी ताकत है। उन्होंने देश को सांप्रदायिकता और दलित विरोधी नीतियों की प्रयोगशाला में बदल कर रख दिया है। कन्हैया ने आगे कहा ‘सामाजिक बराबरी और जातिवाद को खत्म करने की बात करने वाली हमारी विचारधारा के बारे में जब हम बात करते हैं तो आप डरते क्यों हैं? जेट एयरवेज के विमान में खुद पर हुए कथित हमले के बाद भारी पुलिस सुरक्षा में यहां पहुंचे कन्हैया ने जोर देकर कहा कि वह ऐसे हमलों से डरने वाले नहीं हैं।


कन्हैया पर प्लेन में हुआ था हमला
कन्हैया कुमार पर विमान में हमला किया गया था। खबरों की मानें तो मुंबई एयरपोर्ट पर विमान में बैठे एक शख्स ने कन्हैया का गला दबाने की कोशिश की। ये घटना विमान के उड़ान भरने से पहले हुई थी। कन्हैया ने इस बात की जानकारी खुद ट्वीट करके दी थी। कन्हैया कुमार मुंबई से पुणे जा रहे थे जिस वक्त ये घटना हुई।

शिवसेना ने कहा, कन्हैया नहीं है राष्ट्र विरोधी


शिवसेना के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने रविवार को कहा कि सरकार द्वारा जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार को ‘राष्ट्र विरोधी’ के रूप में पेश करना गलत है। यहां पार्टी पदाधिकारियों की बैठक में उद्धव ठाकरे ने कहा कि पहली बात तो यह कि कन्हैया कुमार को किसने पैदा (चर्चित) किया? सरकार को इस बारे में विचार करना चाहिए। उन्हें राष्ट्र विरोधी बताना गलत है। उन्होंने चेताया कि अगर युवाओं को इसी तरह राष्ट्र विरोधी करार दिया जाएगा तो वे देश के लिए खुलकर काम नहीं कर सकेंगे और भारतीय जनता पार्टी युवाओं के समर्थन से हाथ धो बैठेगी।

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पुणे, 25 अप्रैल (एजेंसी)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को नरेंद्र मोदी सरकार के पीछे की ताकत करार देते हुए जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार ने देश को सांप्रदायिकता और दलित विरोधी नीतियों की प्रयोगशाला में बदल कर रख दिया है। प्रोग्रेसिव स्टूडेंट्स असोसिएशन के बैनर तले इकट्ठा हुए छात्रों की एक सभा को रविवार को संबोधित करते हुए कन्हैया ने कहा, मोदी प्रधानमंत्री हैं और आरएसएस उनकी ताकत है। उन्होंने देश को सांप्रदायिकता और दलित विरोधी नीतियों की प्रयोगशाला में बदल कर रख दिया है। 
सामाजिक बराबरी और जातिवाद को खत्म करने की बात करने वाली हमारी विचारधारा के बारे में जब हम बात करते हैं तो आप डरते क्यों हैं? जेट एयरवेज के विमान में खुद पर हुए कथित हमले के बाद भारी पुलिस सुरक्षा में यहां पहुंचे कन्हैया ने जोर देकर कहा कि वह ऐसे हमलों से डरने वाले नहीं हैं। कन्हैया ने कहा, पुलिस यह कहकर झूठ बोल रही है कि सुबह जो कुछ हुआ वह सीट को लेकर हुआ झगड़ा था। 

मुंबई की लोकल ट्रेनों में सीट का झगड़ा होता है, विमानों में नहीं। उन्होंने कहा, मैं हमलावरों के खिलाफ मामले नहीं दर्ज कराना चाहता क्योंकि वे भी हमारे ही लोग हैं और उन्हें उकसाया गया है। लेकिन मैं इन चीजों से डरूंगा नहीं। गौरतलब है कि विमान में हुई घटना के कारण कन्हैया को सड़क के रास्ते पुणे आना पड़ा। भारत माता की जय के नारों और योग गुरु रामदेव के बयानों का हवाला देते हुए कन्हैया ने कहा, हम निश्चित तौर पर भारत माता की जय बोलेंगे, लेकिन आपको इस पर एकाधिकार किसने दिया? 29 साल के जेएनयू छात्र ने आरोप लगाया कि भारत माता की प्रकृति को बदला जा रहा है। 
उन्होंने कहा, पहले भारत माता एक हाथ में अनाज रखती थी और दूसरे हाथ में तिरंगा रखती थी। अब तिरंगे की जगह भगवा ने ले ली है। ये लोग राष्ट्रीय ध्वज को बदल देंगे। उन्हें राष्ट्रवाद से कोई लेना-देना नहीं है। वे एक धर्म और एक संस्कृति को बढ़ावा देना चाहते हैं। कन्हैया ने कहा कि राष्ट्रवाद की तुलना ब्राह्मणवाद से की जा रही है जो देश के लिए खतरे का संकेत देता है। जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष ने इस बात को खारिज किया कि देश के छात्रों को प्रधानमंत्री के खिलाफ उकसाया जा रहा है। 
कन्हैया ने कहा, हमें मोदी से कोई निजी दुश्मनी नहीं है। हम अपने अधिकार मांग रहे हैं। हमें रोजगार दीजिए। जब हम लोगों के लोकतांत्रिक एवं संवैधानिक अधिकारों की बात करते हैं तो हमें देशद्रोही करार दे दिया जाता है। एफटीआईआई विवाद पर कन्हैया ने कहा कि आरएसएस सभी राष्ट्रीय संस्थाओं पर नियंत्रण कायम करने की कोशिश कर रहा है और देश के विश्वविद्यालयों की स्वायत्ता से छेड़छाड़ की जा रही है। 

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