Sunday 15 January 2017

मानव कल्याणकारी विचारधारा को आप लुप्त करने पर लगे है ------ राम कृष्ण


राम कृष्ण : सच्चाई को नजरअंदाज करने का दूसरा नाम धोतीबाज वामपंथी है  ------


राम कृष्ण 

धोतीबाज वामपंथी नेताओं ने बिहार की तरह ही उत्तर प्रदेश मे गुह-गोबर कर दिया ।आम-आदमी की लड़ाई आज वामपंथी धोतीबाज नेताओं की वजह से कमजोर पड़ गयी।हजारों कुर्बानी की वजह से वामपंथी पर लोगों ने भरोसा जताया था।मगर लाल सेनानियों की शहादत को भूनाकर,जब ये जीतकर विधानसभा और संसद पहुँचे इन लोगों ने अपने लाभ मे सारी कुरबानी को मटियामेट कर दिया ।लाल झंडा को थामकर धोतीबाज नेताओं का समाजवाद तो आ गया मगर शहादत देने वाले लाल सेनानियों के परिवार और लाल झंडा ढोने वाले कार्यकर्ताओं का समाजवाद कब आयेगा यह प्रश्न जब गरीब जनता और कार्यकर्ताओं ने पूछना शुरू किया तो वामपंथी नेताओं ने उसे दरकिनार कर दिया ।संघर्ष की बुनियाद पर तैयार हुई वामपंथी विचारधारा पर जनता ने भरोसा किया था।मगर उन भरोसा को सदन मे जीतकर पहुँचे लोगों ने तार-तार कर दिया ।संघर्षों की पार्टी संघर्षों से दूर हो गयी।आप देखिए बेगूसराय जिसे लेनिनग्राद कहते हैं वहाँ भी सदन जो नेता पहुँचे है उनकी जीवनशैली कही भी कम्युनिस्ट वाली नहीं है ।शानदार चार चक्के की सवारी करते हैं और वो गाड़ी बीस लाख, दस लाख की होती है ।सुरक्षा गार्ड लेकर चलते है वो इसलिए ऐसा करते हैं कि लोगों पर अपना रौब गाँठ सकें।बात करेंगे गरीबों और झोपड़ियों की और जीवन स्तर राजा महाराजा का तभी तो आज वामपंथीयो की दुर्दशा है ।अहंकार होता है इनमें मैं पूर्व विधायक हूं ।मैं पूर्व सांसद हूं ।और कार्यकर्ता बेचारा मर रहा है ।जिसपर कभी हमला नहीं हुआ वो सुरक्षा गार्ड लेकर चलता है और जिसे गोलीबारी करके घायल कर दिया गया उसे कोई सुरक्षा नहीं दिलवाया इन धोतीबाज नेताओं ने तभी बहरबन्नी मे लाल झंडे को लेकर लड़ने वाले इनोद की हत्या हो गयी और ये लाल सेनानी श्रधांजलि समारोह मनाकर और लंबी तहरीर करके चले आये।धोतीबाज वामपंथीयो अभी तो शहीदों की शहादत और कार्यकर्ताओं की मेहनत की वजह से बेगूसराय के किसी विधानसभा मे बीस हजार वोट आ जाता है और किसी मे दस हजार तो किसी विधानसभा मे पच्चीस हजार वोट आ जाता है ।अगर अभी भी संघर्ष का रास्ता नहीं अख्तियार किया ।अगर जनता की बात जनता की जबान मे नहीं किया तो पाँच सौ वोट नहीं आयेगा।सीताराम मिश्रा जैसे विधायक हुए जो बगैर गार्ड के चलते थे और उनकी हत्या हुई अप राधीयो,माफियाओ से लड़ने मे और उनके कातिल बाइज्जत बड़ी हो गये मगर तुम्हारी संवेदना नहीं जगी।क्या कारण है एक अपराधी और एक पार्टी की लड़ाई मे अपराधी जीत जाता है और पूरी पार्टी हार जाती हैं ।मैं यह सवाल इसलिए फेसबुक पर पूछता हूं की अब वामपंथीयो नेता अपने कार्यकर्ताओं से सवाल जवाब देना बंद कर चुके हैं ।सवाल का मतलब विरोध समझ लेते हैं ।जो धोतीबाज नेताओं की वंदना करे उनकी अंधभक्ती करें वहीं इन्हें भाता है और सवाल खड़ा करने वालों पर ये राष्ट्रीय स्वयं संघ से ज्यादा बड़ा खतरा उसे पार्टी और देश का बता देते है ।कार्यानंद भवन मे कहां जाता है बेगूसराय मे ये फलाँना का आदमी है और दूसरा नेता कहेगा ये फलाँना आदमी का नेता हैं कोई यह नही कहेगा की यह नौजवान मे वामपंथी विचारधारा के साथ बढ रहा है ।अखबारनवीस नेता मत बनिए वामपंथीयो और मैं उस दिन समझूगा आप सच मे जनता के नेता हैं जिस दिन आपका काम बोलेगा।कामरेड चंदेश्वरी सिंह पर बम के हमले हुए, कयी बार गोलियाँ चली जिनमें एक साथी की मौत भी हो गयी।कदम कदम पर चंदेश्वरी सिंह पर हमला हुआ लेकिन वो किस्मत से बचते रहे मगर उस योध्धा को वामपंथी धोतीबाज नेताओं ने कभी सुरक्षा गार्ड नहीं दिलवाया ।लोग कहते हैं वामपंथी नेता अपने नेताओं को सजा भी दिलवाया हैं और हत्या भी कारवायी हैं ।तभी तो नये लोग दूरी बना रहे हैं इस विचारधारा से ।
हे धोतीबाज नेताओं मेरे सवालों का हल करो और आप जिस विचारधारा से है वो मानव कल्याणकारी विचारधारा है क्यों इस विचारधारा को आप लुप्त करने पर लगे है ।

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19-01-2017
18-01-2017

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