Wednesday 8 November 2017

वामपंथी पार्टियों द्वारा घोर जनविरोधी नोटबंदी की बरसी पर धरना ------ विजय राजबली माथुर







लखनऊ, 08 नवंबर 2017 : वामपंथी पार्टियों के देशव्यापी आह्वान पर मोदी सरकार द्वारा लागू की गई घोर जनविरोधी नोटबंदी की बरसी पर Cpi cpim ,cpiml , fb , suci की ओर से एक संयुक्त धरना विरोध दिवस के रूप में गांधी प्रतिमा , जी पी ओ , हज़रतगंज , लखनऊ पर  दोपहर 3 बजे से आयोजित किया गया जिसकी अध्यक्षता कामरेड मोहम्मद ख़ालिक़, जिलामंत्री भाकपा ने की। 
cpiml की ओर से कामरेड रमेश सेंगर व cpim की ओर से कामरेड प्रेम कुमार तथा अन्य वक्ताओं ने गत वर्ष की गई नोटबंदी से जनता, छोटे व्यापारियों, किसानों, मजदूरो, महिलाओं को होने वाले कष्टों पर विस्तृत चर्चा की। पंद्रह लाख लोगों की नौकरियाँ छूटने व सौ से अधिक लोगों की बैंकों की लाईनो में मौत की निंदा की गई। 
 Cpi के कामरेड विजय माथुर ने ज़िक्र किया कि, जर्मनी की चांसलर ने यू एस ए की ही प्रेस के हवाले से यह रहस्योद्घाटन किया था कि, भारत में की गई नोटबंदी अमेरिकी दबाव में की गई थी। वस्तुतः ओबामा साहब रिटायर होने वाले थे और यू एस ए में आठ नवंबर 2016 को अगले राष्ट्रपति चुनाव हेतु मतदान चल रहा था जिस दिन भारत में नोटबंदी का ऐलान किया गया। यू एस ए में डिजिटल कंपनियों का व्यापार चौपट हो चुका था और उनके बंद होने की नौबत आ रही थी लेकिन भारत की नोटबंदी ने उनका अस्तित्व बचा लिया क्योंकि यहाँ कैशलेस और डिजिटल लेन - देन के लिया जनता को बाध्य कर दिया गया था। पुराने बड़े नोट बैंकों में जमा हो चुके थे और नई करेंसी बाज़ार में आई नहीं थी।  उनका कहना था कि, जहां नोटबंदी से गरीब जनता कराह रही थी वहीं  बड़े कारपोरेट घराने मस्ती में अपना धंधा कर रहे थे।उनका दृष्टिकोण था कि नोटबंदी मोदी सरकार का देशद्रोही कदम था। इस सरकार के विरुद्ध जनता और व्यापारियों से टैक्स का भुगतान रोकने का आव्हान करना चाहिए तभी इस देशद्रोही सरकार को जनता की बात सुनने के लिए बाध्य किया जा सकेगा। 
अपने अध्यक्षीय भाषण में कामरेड ख़ालिक़ ने साथियों का आभार व्यक्त किया कि, उन्होने भारी संख्या में पहुँच कर कार्यक्रम को सम्पन्न करवाया जबकि पुलिस प्राशन निकाय चुनावों की आचार संहिता के नाम पर सभा ही नहीं होने देना चाहता था। उन्होने प्रिंट और एलेक्ट्रानिक मीडिया का भी धरने की रिपोर्टिंग करने व कवरेज के लिए धन्यवाद दिया। 

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